बाल एवं युवा साहित्य >> जातक कथाएँ जातक कथाएँभवान सिंह राणा
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बच्चों के लिए रोचक, मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक कथाएँ....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
जातक कथाएँ पालि साहित्य के अन्तर्गत आती हैं, तथापि इन लक्षणों के आधार पर इन्हें लोक कथा कहना ही उपयुक्त होगा इन कथाओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये समाज के उच्च सम्भ्रान्त वर्ग को आधार बनाकर नहीं लिखी गयीं हैं, अपितु इनका आधार वृक्ष, हाथी, बटेर, कौआ, गीदड़, गरीब किसान, गांव का भोला युवक, निरीह ब्राह्मण, बढ़ई आदि को बनाया गया है। इनमें अत्यन्त सरल शैली में कथा वस्तु को प्रस्तुत कर दिया गया है। इनमें उपदेशात्मकता का प्रायः अभाव ही है फिर भी इन कथाओं चरित्र जहाँ एक ओर सामान्य पाठकों को हंसाते-गुदगुदाते हैं, वहीं दूसरी ओर प्रबुद्ध पाठकों को अनायास ही चिंतन के लिए बाध्य करते हैं।
वस्तुतः इन कथाओं के आधार जीव-जन्तु भी मानव-समाज के ही कर्तव्यपरायण, सच्चे मित्र, भोले-भाले, चतुर, धूर्त अथवा चापलूस आदि चरित्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जातक कथाओं में रोचकता की कहीं कमी नहीं है। अतः ये कथाएँ बच्चों के लिए रोचक, मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक तो हैं ही, साथ ही प्रत्येक अवस्था के पाठकों के भी उपयोगी हैं।
वस्तुतः इन कथाओं के आधार जीव-जन्तु भी मानव-समाज के ही कर्तव्यपरायण, सच्चे मित्र, भोले-भाले, चतुर, धूर्त अथवा चापलूस आदि चरित्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
जातक कथाओं में रोचकता की कहीं कमी नहीं है। अतः ये कथाएँ बच्चों के लिए रोचक, मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक तो हैं ही, साथ ही प्रत्येक अवस्था के पाठकों के भी उपयोगी हैं।
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